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भारत सरकार द्वारा पहिया व धुरा कारखाना परियोजना की संस्वीकृत की गई ।
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जून /1978
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भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री नीलम संजीव रेड्डी द्वारा पहिया व धुरा कारखाना राष्ट्र को समर्पित ।
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जून /1978
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पूर्व माननीय रेल मंत्री श्री कमलापति त्रिपाठी द्वारा आधारशिला रखी गयी ।
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जनवरी/1980
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पहली ईक्यूएस हीट टैप की गई ।
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अक्तूबर /1980
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5
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प्रथम परीक्षण पहिया ढाला गया (BOXN)
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अक्तूबर /1983
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प्रथम परीक्षण धुरा फोर्ज किया गया ।
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दिसंबर /1983
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माननीय प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा पहिया व धुरा कारखाना का उद्घाटन ।
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सितंबर/1984
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पहला पहिया सेट एसेंबल किया गया (BOXN) ।
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अक्तूबर /1984
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प्रोत्साहन योजना लागू की गई ।
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जनवरी/1990
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प्रथम 915 मि.मी. व्यास का कोचिंग पहिया बनाया गया ।
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मई/1993
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प्रथम 915 मि.मी. व्यास का कोचिंग पहिया सेट बनाया गया ।
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अगस्त /1993
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मैसर्स बी वी क्यू आई द्वारा आई एस ओ 9002 प्रमाणीकरण का प्रत्यायन (आई एस ओ 9002 प्राप्त करने वाली पहली रेलवे इकाई)
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नवंबर/1994
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पहला 840मि.मी. व्यास का फ्लैट कंटेनर वैगन के पहिया का विनिर्माण किया गया ।
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जनवरी/1995
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840मि.मी. व्यास का पहला पहिया सेट बनाया गया ।
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मार्च/1995
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915मि.मी. व्यास का पहला वैगन पहिया बनाया गया ।
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अक्तूबर /1995
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मैसर्स किर्लोस्कर के लिए 6 लाख रुपये मूल्य का पहला गैर रेलवे आदेश का निष्पादन किया गया ।
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सितंबर /1995
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यू एस रेल रोड को आपूर्ति करने के लिए पहिया, धुरा के विनिर्माता के रूप में एएआर प्रमाणीकरण का प्रत्यायन ।
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नवंबर/1995
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915मि.मी. व्यास का पहला वैगन पहिया सेट बनाया गया ।
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दिसंबर /1995
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पहियों और धुरों का पहला प्रेषण अमेरिका को निर्यात किया गया । (कोचिंग-36 पहिए एवं प्र-श्रेणी धुरे)
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दिसंबर /1995
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1097 मि.मी. व्यास का पहला लोको पहिया बनाया गया ।
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दिसंबर /1997
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एक वर्ष में अधिकतम धुरों का निर्माण (52,249 नं.)
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फरवरी /1997
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5,00,000वाँ धुरा
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मई/1998
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आवर्धन चरण – I पूरा/पूर्ण
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जुलाई/1998
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किसी विशेष माह में अधिकतम पहियों का निर्माण (10,031 पहिए)
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दिसंबर /1998
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25
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किसी विशेष माह में पहियों का न्यूनतम रिजेक्शन प्रतिशत (4.95%)
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दिसंबर /1998
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मार्च 1999में परीक्षण के तौर पर MoV ढलवाँ इस्पात पहिया के साथ प्रथम WDM2 लोको सं. 16464 को फिट किया गया ।
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मार्च /1999
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27
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मैसर्स बी वी क्यू आई द्वारा आई एस ओ 14001 का प्रत्यायन (आई एस ओ 14001 प्राप्त करने वाली पहली रेल इकाई)
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जून/1999
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पहला एमजी कोचिंग पहिया बनाया गया ।
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सितंबर/1999
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29
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आई एस ओ : 9001-2000 का प्रत्यायन । (आई एस ओ : 9001-2000 प्राप्त करने वाली पहली रेल इकाई)
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मार्च /2001
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30
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एमओवी सामग्री मिश्रण से ढाला गया पहला एमजी लोको पहिया ।
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नवंबर/2001
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31
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मैसर्स एचईआईएल/कोलकाता को 5280 कॉनकोर फ्लैट कन्टेनर वैगन के पहिया सेटों की आपूर्ति जो कि गैर रेलवे ग्राहक से प्राप्त 30 करोड़ रुपये मूल्य के उच्चतम अकेला आदेश था ।
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मार्च /2002
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32
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मैसर्स ट्रान्सपोर्टेशन टेकनॉलजी सेंटर, यू एस ए में बीजी लोको पहियों का डिजाइन की वैधता ।
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अप्रैल/2002
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33
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बीजी (1092 मि. मी. व्यास ) लोको पहिया को सवारी रेल इंजनों में चलाने के लिए आरडीएसओ से स्वीकृति ।
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अप्रैल/2002
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34
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बीजी (1092 मि. मी. व्यास ) लोको पहिया में एमओवी से ढाले गए पहियों के नियमित प्रयोग के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृति ।
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अप्रैल/2002
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35
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पधुका परियोजना की रजत जयंती ।
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सितंबर/2002
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36
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पहला एमजी-डीईएमयू पहिया ढाला गया ।
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जनवरी/2003
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37
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रेल पहिया कारखाना के रूप में पधुका का पुनः नामकरण ।
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फरवरी/2003
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38
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रेपका कॉलोनी और अस्पताल के लिए आईएसओ 14001:1996 प्रमाणीकरण ।
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मार्च/2003
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39
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ट्रेक्शन मोटर आर्मेचर शॉफ्ट का पहला बैच रेलवे कर्मशालाओं को प्रेषित ।
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सितंबर/2003
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40
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50,000वीं हीट टैप की गई ।
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मार्च /2004
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41
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रेपका ने OHSASप्रमाणपत्र- 18001 प्राप्त किया ।
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फरवरी/2005
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42
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किसी महीना विशेष में पहियों का न्यूनतम रिजेक्शन प्रतिशत (3.36%)
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फरवरी/2007
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43
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10,00,000वां धुरा फोर्ज किया गया ।
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मार्च /2008
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75,000वीं हीट टैप की गई ।
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मई /2009
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45
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54 ढले ईएमयू पहिया सेटों का विनिर्माण किया गया और दक्षिण रेलवे आवड़ी को जाँच परीक्षण हेतु प्रेषित किए गए ।
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जून/2009
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46
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माइक्रो एलॉइड रासायनिक सम्मिश्रण वाले 24 एल एच बी पहियों को पहली बार परीक्षण के तौर पर ढाला गया ।
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जून/2009
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47
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बूट प्रणाली के अधीन कारखाने में ही ऑक्सीजन संयंत्र चालू किया गया । भारतीय रेल में यह पहला प्रयोग था ।
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फरवरी/2010
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48
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टी टी सी आई द्वारा 25 टन धुरा लोड पहियों के लिए डिजाइन की वैधता स्वीकृत की गई । इन पहियों को परीक्षण के लिए रायनपाडू, दमरे को प्रेषित किया गया ।
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जून/2010
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49
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उच्च गति फिएट बॉगी के लिए 24 एल एच बी पहियों का निर्माण किया गया । ये पहिए उत्तर रेलवे के शालीमार एक्सप्रेस में फील्ड परीक्षण के अधीन है ।
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सितंबर/2010
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50
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रेपका ने मार्च 2012 , दिनांक 30.03.2012 को ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है , अच्छे पहिए-2,00,000, मशीनी धुरा-1,00,000, पहिया सेट-70,000, फोर्ज्ड धुरा-75,250, 1,00,000वीं हीट टैप की गयी ।
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अप्रैल/2013
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51
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स्क्रैप की 100 प्रतिशत ई-नीलामी शुरू की गई ।
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जून/2013
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52
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वैकल्पिक प्राथमिक स्क्रैप के रूप में रेल स्क्रैप का उपयोग । रेल स्क्रैप खपत में पहले के प्रति हीट 0.8 मिट्रिक टन की तुलना में 8 मिट्रिक टन की वृद्धि ।
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मार्च /2012
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53
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शट डाउन अवधि को 21 दिनों से घटाकर 14 दिन कर दिए गए , जिसके फलस्वरूप आने वाले सभी वर्षों में कार्य दिवसों की संख्या 6 बढ़ गयी ।
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फरवरी/2012
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54
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सालों से गड़े पड़े रहे लौह स्क्रैप को पुनः प्राप्त कर संचित किया गया ।
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फरवरी/2012
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55
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1 लाख वीं हीट टैप की गई ।
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अप्रैल/2013
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56
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15,00,000वां धुरा फोर्ज किया गया ।
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दिसंबर/2014
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57
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रेपका को पुनः राजीव गाँधी राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कार से सम्मानित किया गया । (वर्ष 2012 में सम्मानित)
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अक्तूबर /2015
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58
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रेपका को गुणवत्ता प्रबंधन के लिए स्वर्ण मयूर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
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अप्रैल/2015
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59
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K Class CTRB के लिए उपयुक्त 16 नंबर 25 टन धुरा लोड प्रोटोटाइप वैगनों को 40 दिनों में विकसित किया गया ।
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जून/2015
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60
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दुग्ध टैंक वैगन और कोलकाता मेट्रो के लिए रेपका में पहियों का निर्माण किया गया । ’’मेक इन इंडिया’’ के एक हिस्सा के रूप में माननीय रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहेन ने पहिया सेट का उद्घाटन किया ।
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सितंबर/2016
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